वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-सरकारी सूत्रों के मुताबिक दहल की भारत यात्रा के एजेंडे को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है। हालांकि अखबार काठमांडू पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि दहल की मोदी के साथ मुलाकात की तारीख और समय अभी तय नहीं हुए हैं..
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की भारत की तैयारियां जोरों पर हैं। इसके साथ ही नेपाल के मीडिया में इस यात्रा से जुड़ी चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। पिछले 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री बनने के बाद दहल की यह पहली भारत यात्रा होगी। नेपाल के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा को यहां हमेशा ही अति महत्त्वपूर्ण माना जाता है और इसलिए इसमें आम जन की भी दिलचस्पी रहती है। दहल इसी महीने के आखिर में नई दिल्ली जाएंगे.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक दहल की भारत यात्रा के एजेंडे को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है। हालांकि अखबार काठमांडू पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि दहल की मोदी के साथ मुलाकात की तारीख और समय अभी तय नहीं हुए हैं। इस बीच विदेश मंत्री एनपी साउद ने इस सिलसिले में विदेश सचिव सहित विदेश मंत्रालय के तमाम बड़े अधिकारियों से बातचीत की है। उन्होंने उन राजनयिकों से भी बातचीत की है, जो भारत में नेपाल के राजदूत रह चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक विदेश सचिव ने इस बारे में इन विशेषज्ञों की राय मांगी कि जब दहल की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता होगी, तो उस दौरान उन्हें किन मुद्दों को उठाना चाहिए।
बताया जाता है कि नई दिल्ली रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री दहल नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्रियों की राय भी लेंगे। इस बीच मीडिया के जरिए कई विशेषज्ञ इस बारे में अपनी राय जता रहे हैं। उन्होंने कहा है कि दहल को भारत के साथ आपसी भरोसा मजबूत करने के उपायों पर बातचीत करनी चाहिए। कुछ टीकाकारों ने लिखा है कि नेपाल को अब पुरानी बातें भूल कर भारत से रिश्ते मजबूत करने की नई कोशिशें करनी चाहिए।
मगर विपक्ष ने इस मामले में सरकार पर दबाव बढ़ाना शुरू कर चुका है। बीते रविवार को संसद में पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्य विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने मांग की कि दहल को कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा के मामले में नेपाल के रुख पर मजबूती से खड़ा रहना चाहिए। उन्होंने इस बारे में दहल से दो टूक यह बताने की मांग की कि वे इन इलाकों को नेपाल का मानते हैं या नहीं। जब ओली प्रधानमंत्री थे, तब उनकी सरकार ने मई 2020 में नेपाल का नया नक्शा जारी किया था। उसमें इन भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का बताया गया था। ओली सरकार के इस रुख से तब भारत के साथ नेपाल के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।
ओली ने कहा- ‘मैं प्रधानमंत्री को सलाह देता हूं कि वे भारत यात्रा के समय कायरता ना दिखाएं और अपने दिल को मजबूत रखें।’ ओली ने इस बात पर संदेह जताया कि नेपाल की वर्तमान सरकार देश की प्रादेशिक अखंडता की रक्षा कर पाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि दहल सरकार अपनी नीति और कार्यक्रमों में नए नक्शे के मुताबिक नहीं चल रही है।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के नेता माधव कुमार नेपाल ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री दहल को बिना किसी हिचक के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा के मुद्दे को अपनी भारत यात्रा के एजेंडे में प्रमुखता देनी चाहिए। पर्यवेक्षकों के मुताबिक दहल की कोशिश अपनी भारत यात्रा को विवादों से अलग रखने की है, लेकिन उससे विपक्ष को सरकार पर हमला करने के नए मौके मिलेंगे।