वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-अमेरिकी राजदूत ने कहा कि‘जी-7 आज पहले के किसी मौके की तुलना में अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि दुनिया किसी ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्था की तलाश में है, जो काम कर सकने में सक्षम हो
जापान में अमेरिकी राजदूत राह्म इमैनुएल की इस टिप्पणी ने एक नई बहस खड़ी कर दी है कि संयुक्त राष्ट्र और जी-20 एक निष्क्रिय मंच बन गए हैं। उन्होंने कहा है कि उन मंचों के ठीक से काम ना कर पाने के कारण ही जी-7 को अपने शिखर सम्मेलन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेन्स्की को आमंत्रित करना पड़ा। जी-7 शिखर सम्मेलन शुक्रवार को यहां शुरू हुआ, जिसमें इस समूह के सात देशों के अलावा भारत सहित कई विकासशील देशों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। इसी शिखर सम्मेलन के मौके पर दिए एक मीडिया इंटरव्यू में इमैनुएल ने यह टिप्पणी की है।
वेबसाइट निक्कई एशिया.कॉम को दिए इंटरव्यू में अमेरिकी राजदूत ने कहा कि‘जी-7 आज पहले के किसी मौके की तुलना में अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि दुनिया किसी ऐसी अंतरराष्ट्रीय संस्था की तलाश में है, जो काम कर सकने में सक्षम हो। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अब वैसी संस्था नहीं रह गया है, जैसा पहले यह हुआ करता था। रूस ने किसी दूसरे देश पर हमला ना करने के संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत का उल्लंघन किया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र इस सिद्धांत की रक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठा पाया।
इमैनुएएल ने कहा कि इस वर्ष मार्च में नई दिल्ली में हुई जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में साझा बयान पर सहमति नहीं बन सकी। ऐसे में वहां उसे सदस्य देशों के यूक्रेन युद्ध पर रुख के बारे में मेजबान देश यानी भारत की तरफ से तैयार सार-संक्षेप पर संतोष करना पड़ा। इमैनुएल ने कहा- ‘जी-20 तब विकसित हुआ, जब जी-7 को संघर्ष करना पड़ रहा था।’ उनका इशारा 2008 में आई आर्थिक मंदी की तरफ था। इस मंदी के बाद ही जी-20 के शिखर सम्मेलनों की शुरुआत हुई थी। उसके पहले जी-20 में शामिल देशों की बैठक वित्त मंत्री और इन देशों के सेंट्रल बैंक के गवर्नरों के स्तर पर होती थी।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक इमैनुएल के इस आकलन से भू-राजनीति के अनेक विशेषज्ञ सहमत होंगे। ऐसी राय जताते हुए कुछ टिप्पणियां पश्चिमी मीडिया में छपी भी हैं। जी-7 में ऐसे देश शामिल हैं, जिनकी भू-राजनीति से लेकर सुरक्षा और आर्थिक मसलों पर एक जैसी राय है। जबकि जी-20 में रूस, चीन और कई अन्य ऐसे देश शामिल हैं, जिनकी वैश्विक स्थितियों के मामले में पश्चिमी देशों के साथ असहमति गहराती चली गई है।
विश्लेषकों के मुताबिक इसी समझ के कारण जी-7 ने अपने हिरोशिमा शिखर सम्मेलन में उन देशों के नेताओं को आमंत्रित किया, जिनके साथ पश्चिमी देशों की अधिक सहमति है। यहां पर भारत, दक्षिण कोरिया और ब्राजील के नेताओं के साथ-साथ अफ्रीकन यूनियन के प्रतिनिधि को भी बुलाया गया है। इमैनुएल ने कहा- ‘यह सब इस बात का संकेत है कि जी-7 का यह शिखर सम्मेलन कितने स्थायी महत्त्व का है। इस समय हम युग परिवर्तन के बिंदु पर हैँ।’ इमैनुएल ने कहा- ‘जी-20 के विपरीत यहां जी-7 के नेता एक विज्ञप्ति जारी करेंगे, जिससे उनकी एकता जाहिर होगी और जिससे मुद्दों से निपटने की ऐसी मिसाल सामने आएगी, जैसा पहले कभी नहीं हुआ है।’