वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी उपग्रहों ने कम से कम 14 बार अंतरिक्ष में चीनी उपग्रहों के करीब आकर जासूसी की कोशिश की। ये घटनाएं अंतरिक्ष की ऊंची कक्षाओं में पिछले दो वर्ष के दौरान हुई हैं। इस बारे में चीन ने एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। उसका दावा है कि यह रिपोर्ट उसके विशेषज्ञों ने तैयार की है...
इस वर्ष जनवरी-फरवरी में अमेरिकी आसमान में चीनी गुब्बारों के उड़ने को लेकर उठे विवाद के बाद अब चीन ने अमेरिका पर जासूसी करने के जवाबी इल्जाम मढ़ दिए हैं। जानकारों का कहना है कि इससे दोनों देशों के बीच टकराव और बढ़ने की आशंका है। गुब्बारा विवाद के कारण अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने फरवरी में होने वाली अपनी चीन यात्रा रद्द कर दी थी। उसके बाद ब्लिंकेन की यात्रा का कार्यक्रम अभी तक तय नहीं हो पाया है।
अब चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी उपग्रहों ने कम से कम 14 बार अंतरिक्ष में चीनी उपग्रहों के करीब आकर जासूसी की कोशिश की। ये घटनाएं अंतरिक्ष की ऊंची कक्षाओं में पिछले दो वर्ष के दौरान हुई हैं। इस बारे में चीन ने एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। उसका दावा है कि यह रिपोर्ट उसके विशेषज्ञों ने तैयार की है। इसके मुताबिक अमेरिकी वायु सेना के जियोसिक्रोनस स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस प्रोग्राम से जुड़े उपग्रहों ने चीन के सबसे खास और उन्नत उपग्रहों के करीब आकर जासूसी की।
यह रिपोर्ट पहले चीनी भाषा के एक जर्नल में प्रकाशित हुई। इसके मुताबिक इस अनुसंधान का नेतृत्व इन्फ्रारेड और लेजर इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ काई शेंग ने किया। इमें चांगचुन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्टिक्स में कार्यरत फाइन मेकेनिक्स और फीजिक्स टीम से जुड़े विशेषज्ञ भी शामिल हुए। रिपोर्ट में दावा किया है कि जासूसी गतिविधियों के दौरान अमेरिकी सेना ऩे चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम में दखल देने की अपक्षी क्षमता और इरादे दोनों का प्रदर्शन किया।
चीन फिलहाल कई जियो सैटेलाइट्स का संचालन करता है, जिनके जरिए संचार, मार्गदर्शन, और रिमोट सेंसिंग जैसी सेवाएं वह प्राप्त करता है। जियो सैटेलाइट धरती की मध्यांतर रेखा के ऊपर एक जगह पर स्थित रहते हैं। आज के दौर में अनेक देश उपग्रहों का इस्तेमाल संचार, निगरानी और बैंकिंग या वित्तीय सिस्टम की सेवाओं के संचालन के लिए कर रहे हैं। बीजिंग स्थित एक वैज्ञानिक ने कहा है कि दूसरे किसी देश के उपग्रह के करीब आने जैसी घटनाओं के बारे में आम तौर पर देश चुप रहते हैं। इसकी वजह ऐसी सूचनाओं का सैनिक लिहाज से संवेदनशील समझा जाना है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक इसके बावजूद अगर चीन ने ऐसी सूचनाओं को सार्वजनिक किया है, तो उसके पीछे मकसद अमेरिका को जवाब देना है। फरवरी में गुब्बारा कांड के कारण चीन को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी। अब चीन अंतरिक्ष में जासूसी का आरोप लगा कर अमेरिका को घेरने की कोशिश कर रहा है।
लेकिन विशेषज्ञ अभी यह अंदाजा नहीं लगा पाए हैं कि इस मौके पर यह रिपोर्ट जारी करने के पीछे चीन का क्या मकसद है। अमेरिका के साथ उसका तनाव पहले ही काफी बढ़ा हुआ है। दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव होने की आशंकाएं अक्सर जताई जा रही हैं। इसके बीच टकराव और बढ़ाने की रणनीति से क्या हासिल होगा, यह स्पष्ट नहीं है।
चांगचुन इंस्टीट्यूट चाइना एकेडमी ऑफ साइंसेज की सहयोगी संस्था है। चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम में उसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेजर टेक्नोलॉजी, रिमोट सेंसिंग और स्पेस ऑप्टिक्स के विकास में इस संस्था को विशेषज्ञता हासिल है।