वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-नेपाल चाहता है कि भारत अपनी जमीन पर नेपाल से बांग्लादेश जाने वाली एक खास ट्रांसमिशन लाइन बनाने की इजाजत दे। नेपाल और बांग्लादेश जमीनी तौर पर एक-दूसरे से कहीं नहीं जुड़ते हैं। इसलिए नेपाल अपनी बिजली बांग्लादेश को तभी बेच बाएगा, अगर इसमें भारत का सहयोग मिले...
नेपाल और बांग्लादेश ने इस मुद्दे पर चर्चा करने का फैसला किया है कि भारत की ट्रांसमिशन लाइनों के इस्तेमाल के लिए वे भारत को कैसे राजी करें। भारत अगर ऐसा करने की इजाजत दे देता है, तो नेपाल अपने यहां पैदा होने वाली अतिरिक्त बिजली बांग्लादेश को बेच पाएगा। नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने प्रस्तावित बैठक के बारे में जानकारी दी है। यह बैठक 15 और 15 मई को बांग्लादेश में होगी।
अधिकारी ने बताया कि बिजली की खरीद-बिक्री में त्रिपक्षीय सहयोग के लिए भारत को कैसे राजी किया जाए, यह ढाका में होने वाली बैठक का एक प्रमुख मुद्दा होगा। नेपाल चाहता है कि भारत अपनी जमीन पर नेपाल से बांग्लादेश जाने वाली एक खास ट्रांसमिशन लाइन बनाने की इजाजत दे। नेपाल और बांग्लादेश जमीनी तौर पर एक-दूसरे से कहीं नहीं जुड़ते हैं। इसलिए नेपाल अपनी बिजली बांग्लादेश को तभी बेच बाएगा, अगर इसमें भारत का सहयोग मिले।
नेपाल को उम्मीद भारत के हालिया रुख से है। नेपाल के अधिकारियों ने ध्यान दिलाया है कि भारत ने ‘एक सूरज एक दुनिया एक ग्रिड’ नाम से एक अंतरराष्ट्रीय ग्रिड बनाने का प्रस्ताव रखा है। इसमें पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देने की बात भी कही गई है। इसका लाभ नेपाल और बांग्लादेश को मिल सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक सूरज एक दुनिया एक ग्रिड’ पहल का प्रस्ताव 2018 में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की बैठक में रखा था। तब मोदी ने कहा था कि इस पहल का मकसद लगभग 140 देशों के बीच एक समान ग्रिड बनाना होगा, जिसके जरिए सौर और अन्य स्वच्छ ऊर्जा का ट्रांसफर होगा।
पिछले साल अप्रैल में भारत और नेपाल ने बिजली क्षेत्र में सहयोग के बारे में एक साझा दृष्टि पत्र जारी किया था। उसके तहत होने वाले सहयोग में बांग्लादेश और भूटान को भी शामिल करने की बात कही गई थी। फिलहाल मौजूद भरतीय ट्रांसमिशन लाइन के जरिए नेपाल बांग्लादेश को 40 से 50 मेगावाट बिजली बेचना चाहता है। इस मुद्दे पर ढाका में होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी। नेपाल भारत को भी 40 से 50 मेगावाट बिजली बेचना चाहता है। भारत ने नेपाल से बिजली लेने में दिलचस्पी भी दिखाई है।
लेकिन पर्यवेक्षकों के मुताबिक नेपाल के बिजली क्षेत्र में चीन की बनी पैठ भारत और नेपाल के बीच बिजली सहयोग में एक अड़चन बनी हुई है। भारत ने संकेत दिया है कि वह उन बिजली संयंत्रों में बनी बिजली को खरीदने या अपनी ट्रांसमिशन लाइन के इस्तेमाल की इजाजत देने को तैयार नहीं है, जिनमें चीनी निवेश या कल-पुर्जे लगे हों। नेपाल और बांग्लादेश दोनों के सामने असल चुनौती यही है कि इस समस्या का क्या समाधान निकाला जाए।
नेपाल के ऊर्जा मंत्रालय के ही एक अन्य अधिकारी ने कहा कि बिजली सहयोग में भारत को शामिल किया जाए या नहीं, इस बारे में अभी तक बांग्लादेश से चर्चा नहीं हुई है। यह नेपाल की राय है कि भारत को इसमें शामिल करने से त्रिपक्षीय सहयोग की शुरुआत होगी। इस बारे में बांग्लादेश की राय ढाका में होने जा रही बैठक में पता चलेगी। हालांकि पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस मुद्दे पर बांग्लादेश को कोई एतराज होगा, इसकी संभावना बेहद कम है।