वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-पाकिस्तान के गैर-सरकारी संगठन ह्यूमन राइट्स कमीशन ने हाल में बलूचिस्तान की स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट जारी की है। उसमें कहा गया है कि बलूचिस्तान के आवाम में पाकिस्तान को लेकर गुस्सा पल रहा है। बलूचिस्तान के लोगों में यह राय गहरा गई है कि पाकिस्तान ने उनके प्रदेश को ‘उपनिवेश’ बना रखा है...
बलूचिस्तान में गिरफ्तार महिलाओं के साथ पुलिस हिरासत में किए जा रहे सलूक से पाकिस्तान में पुलिस के तौर-तरीकों पर गंभीर सवाल उठे हैं। आरोप है कि पुलिस महिलाओं को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें बार-बार मीडिया के सामने लाकर उनका इस्तेमाल प्रचार के लिए कर रही है। इस मामले में माहिल बलोच नाम की एक महिला का मामला खासा चर्चित हुआ है। पुलिस हिरासत में होने के बावजूद माहिल को बार-बार मीडिया के सामने लाकर इकबालिया बयान दिलवाया गया है।
27 साल की माहिल दो बच्चों की सिंगल मदर है। वह बलूचिस्तान के केच इलाके की रहने वाली है। बलूचिस्तान के काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट ने उसे पिछले महीने गिरफ्तार किया था। अधिकारियों का आरोप है कि माहिल प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रेंट (बीएलएफ) की सदस्य है और वह एक फिदायीन हमले की तैयारियों में जुटी हुई थी।
माहिल का हाल में कई मीडिया संस्थानों ने इंटरव्यू लिया है। पुलिस हिरासत में रहते हुए दिए गए ये इंटरव्यू ही अब विवाद का मुद्दा बन गए हैं। बलूच कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ दिया है। उन्होंने इसे मीडिया ट्रायल यानी मीडिया के जरिए मुकदमा चलाने की कोशिश बताया है।
इस सिलसिले में पाकिस्तान के अखबार डॉन ने बलूच कार्यकर्ताओं, कुछ सांसदों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं से बातचीत की। उन सबने माहिल को टीवी पर लाकर इंटरव्यू दिलवाने के लिए पुलिस की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके जरिए खास कर महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं को नकारात्मक संदेश देने की कोशिश की जा रही है। बलूचिस्तान में कथित पुलिस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों में महिला कार्यकर्ताओं की खास भूमिका रही है।
पाकिस्तान के गैर-सरकारी संगठन ह्यूमन राइट्स कमीशन ने हाल में बलूचिस्तान की स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट जारी की है। उसमें कहा गया है कि बलूचिस्तान के आवाम में पाकिस्तान को लेकर गुस्सा पल रहा है। बलूचिस्तान के लोगों में यह राय गहरा गई है कि पाकिस्तान ने उनके प्रदेश को ‘उपनिवेश’ बना रखा है। ह्यूमन राइट्स कमीशन ने कहा है कि यह स्थिति पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी है।
बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (एम) की विधायक शकीला नवीद देहवार ने डॉन से कहा कि माहिल के मामले से बलूचिस्तान के लोगों में पाकिस्तान के प्रति हिकारत और बढ़ गई है। उन्होंने कहा- ‘माहिल एक गरीब महिला है। उसे जानबूझ कर मीडिया के सामने लाया गया है, ताकि प्रांत की महिला कार्यकर्ताओं को बदनाम किया जा सके। ये महिला कार्यकर्ता प्रांत में लोगों को लापता कर देने के चलन के खिलाफ आवाज उठाने में सबसे आगे रही हैं।’
जबकि बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री के प्रवक्ता बाबर युसूफजई ने दावा किया है कि खुफिया जानकारियों के आधार पर पुलिस ने माहिल बलूच को गिरफ्तार किया। वह क्वेटा में फिदायीन हमला करने की तैयारी में थी। यही बात उसने वीडियो इंटरव्यू में स्वीकार किया है और ऐसा ही बयान कोर्ट में भी दिया है।
लेकिन वॉयस ऑफ मिसिंग बलूच पर्संस नाम के संगठन के अध्यक्ष नसरुल्लाह बलूच ने कहा है- ‘हमारी हमेशा ही मांग रही है कि बलूच लोगों को फर्जी मामलों में ना फंसाया जाए। जब तक अदालत उन्हें दोषी नहीं ठहरा देती, उनके साथ गैर-कानूनी व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।’