वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक किसी सदन के भंग होने पर 90 दिन के अंदर उसका चुनाव कराना अनिवार्य है। लेकिन पाकिस्तान का निर्वाचन आयोग ने यह कह कर चुनाव कार्यक्रम घोषित करने से इनकार कर दिया कि उसके पास इसके लिए जरूरी संसाधन और सुरक्षा व्यवस्था नहीं है...
पाकिस्तान में चुनाव कराने के मुद्दे की लड़ाई अब सड़कों पर उतरने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद पंजाब प्रांत की असेंबली के चुनाव को लेकर जारी संशय के बीच अब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने ‘पूरे देश को सड़कों पर उतार’ देने का संकल्प जताया है। उधर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने इसी सवाल पर मंगलवार को पूरे सिंध प्रांत में जन प्रदर्शन करने का एलान किया है। पीपीपी के नेता विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी हैं और इस पार्टी का सिंध में बड़ा जनाधार है।
इमरान खान ने रविवार को ईद के मौके पर लाहौर में अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं का एक विशेष समारोह आयोजित किया। इसे उन्होंने वीडियो लिंक के जरिए संबोधित किया। इमरान खान ने आशंका जताई कि पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के नेतृत्व वाली संघीय सरकार पंजाब में 14 मई को चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर सकती है। उन्होंने कहा- ‘अगर ऐसा हुआ, तो मैं पूरे कौम को सड़कों पर उतार दूंगा। मैं कार्यकर्ताओं का आह्वान करता हूं कि विरोध प्रदर्शनों की वे तैयारी करें।’
पाकिस्तान में तुरंत आम चुनाव की मांग पर जोर डालने के लिए बीते जनवरी में पीटीआई ने पंजाब और खैबर पख्तूनवा की प्रांतीय असेंबलियों को भंग करवा लिया था। इन दोनों प्रांतों में उसका शासन था। पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक किसी सदन के भंग होने पर 90 दिन के अंदर उसका चुनाव कराना अनिवार्य है। लेकिन पाकिस्तान का निर्वाचन आयोग ने यह कह कर चुनाव कार्यक्रम घोषित करने से इनकार कर दिया कि उसके पास इसके लिए जरूरी संसाधन और सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। इसलिए यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। कोर्ट ने 14 मई को चुनाव कराने का आदेश दिया है।
सत्ताधारी गठबंधन पीडीएम में शामिल एक प्रमुख दल पीपीपी ने अपने आधार वाले सिंध प्रांत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है। पार्टी का दावा है कि पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक नेशनल और प्रांतीय असेंबलियों के चुनाव साथ-साथ होने चाहिए। इसलिए वह पंजाब में अलग से चुनाव कराने के निर्णय को स्वीकार नहीं करेगी। पीपीपी के नेता निसार खुसरो ने कहा- सिंध अलग-अलग कराए गए चुनावों को स्वीकार नहीं करेगा।
खुसरो ने कहा- ‘अलग-अलग चुनाव कराने का मतलब है देश को दो भागों में बांटना।’ पीपीपी का आरोप है कि दो प्रांतों में पहले चुनाव करवा कर राष्ट्रीय चुनाव को प्रभावित करने की ‘साजिश’ रची गई है। उन्होंने कहा कि इन दोनों प्रांतों के चुनाव कार्यक्रमों को भी अलग कर दिया गया है। इसके मुताबिक पहले पंजाब में मतदान होगा और फिर खैबर पख्तूनवा में। खुसरो ने अदालतों से कहा है कि वे ‘इमरान खान की षड्यंत्रकारी कोशिशों में सहभागी न बनें।’
पर्यवेक्षकों के मुताबिक सिंध प्रांत में हाल में पीटीआई का असर भी बढ़ा है। इसलिए दोनों पार्टियों के समर्थकों के सड़क पर उतरने से वहां हिंसा का अंदेशा है। सत्ताधारी गठबंधन किसी भी तरीके से अभी चुनाव को टालने पर आमादा है। इसके लिए वह कोर्ट को भी खुली चुनौती दे रहा है।