वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-विश्लेषकों के मुताबिक सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के मामले में अमेरिका की भी ताइवान पर निर्भरता रही है। अब अमेरिका में इसे ‘असुरक्षित’ माना जा रहा है। अमेरिका में यह राय मजबूत हुई है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला कर दिया, तो अमेरिका की सेमीकंडक्टर की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा...
ताइवान अब नहीं चाहता कि अमेरिका उसको लेकर चीन के साथ इस क्षेत्र में टकराव और बढ़ाए। कई मीडिया रिपोर्टों से इस बात के संकेत मिले हैं। ताइवान के अधिकारियों का कहना है कि इस क्षेत्र में बढ़े तनाव का उनके कारोबार पर बहुत खराब असर हो रहा है। सबसे ज्यादा खराब असर ताइवान की चिप इंडस्ट्री पर पड़ा है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ताइवान के अधिकारियों ने इस सिलसिले में अमेरिकी अधिकारियों से अनौपचारिक बातचीत की है। चिप इंडस्ट्री ताइवान की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख आधार है। चीन ताइवान में बने चिप का बड़ा बाजार रहा है। लेकिन खबर है कि कई चीनी कंपनियां अब ताइवान से चिप मंगवाने के बजाय अपने देश में बने चिप का इस्तेमाल कर रही हैं। चीन ने अपनी चिप इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर निवेश और मानव संसाधन को झोंक दिया है।
सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में ताइवान की हैसियत का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि 2022 के अंत तक वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में ताइवान का हिस्सा 48 फीसदी था। 16 नैनोमीटर या उससे छोटे चिप के विश्व बाजार में उसका हिस्सा 61 फीसदी था। ताइवान नहीं चाहता कि उसकी इस हैसियत पर अमेरिका और चीन के टकराव का असर पड़े। अमेरिकी मीडिया ब्लूमबर्ग में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ताइवान के कई अधिकारी इस सिलसिले में अमेरिका की वाणिज्य मंत्री गिना राइमोंडो से संपर्क में हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के मामले में अमेरिका की भी ताइवान पर निर्भरता रही है। अब अमेरिका में इसे ‘असुरक्षित’ माना जा रहा है। अमेरिका में यह राय मजबूत हुई है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला कर दिया, तो अमेरिका की सेमीकंडक्टर की जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा। रायमोन्डो ने कुछ समय पहले चेतावनी दी थी कि अगर ताइवान के सेमीकंडक्टरों की सप्लाई रुक गई, तो अमेरिका तुरंत गहरी मंदी में फंस जाएगा। इसी आशंका के कारण पिछले एक साल में अमेरिका ने अपने यहां सेमीकंडक्टर उद्योग को खड़ा करने की कई योजनाएं घोषित की हैं। इससे भी इस उद्योग से जुड़े ताइवान के कारोबारी परेशान हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक ताइवान खुद को बहुत कठिन स्थिति में पा रहा है। चीनी हमले की आशंका के कारण वह अमेरिका को नाराज करने की सूरत में नहीं है। लेकिन अमेरिका की ताइवानी चिप पर निर्भरता घटाने की योजना से उसके उद्योग के लिए कठिनाइयां खड़ी हो रही हैं। खासकर पिछले अक्तूबर में अमेरिका में पारित चिप्स एक्ट से ताइवानी चिप इंडस्ट्री को परेशानी हुई है।
चिप्स एक्ट में अमेरिकी सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में निवेश के लिए बड़े पैमाने पर सब्सिडी देने का प्रावधान है। इसका लाभ उठाने के लिए ताइवान की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री टीएसएमसी अमेरिका में दो कारखाने बनने में जुट गई है। इन कारखानों में उत्पादन शुरू होने का सीधा असर ताइवान के सेमीकंडक्टर उद्योग पर पड़ेगा। इस बीच चीन का बाजार भी ताइवानी इंडस्ट्री के हाथ से निकल रहा है।
पिछले महीने ताइवान की सेमीकंडक्टर कंपनी मीडियाटेक के एक अधिकारी ने दो टूक कहा था कि चीन पर लगाए गए अमेरिकी चिप प्रतिबंधों का ताइवान की मध्य आकार की कंपनियों पर खराब असर हुआ है। जबकि इससे ताइवानी कंपनियों की प्रतिस्पर्धी चीनी कंपनियों को फायदा हुआ है।