वॉयस ऑफ़ ए टू जेड न्यूज़:-पहले कैब चालक बेटे को छोड़कर आने के लिए दो हजार रुपये लेता था, लेकिन जब से सीएनजी के दामों में वृद्धि हुई है, उसके बाद से
चालक ने 2800 रुपये की मांग की है। ल कैब चालक ने 2800 रुपये की मांग की है।
स्कूल जाना हो, दफ्तर या फिर खरीदारी, सभी के लिए फरवरी के मुकाबले अब 20 से 30 फीसदी ज्यादा रकम चुकानी पड़ रही ही है।
सीएनजी के दामों में वृद्धि होने पर स्कूल कैब चालकों ने भी बच्चों को स्कूल परिवहन का किराया बढ़ा दिया है।
मौजपुर गांव में रहने वाले नवीन ने बताया कि उनका बेटा कड़कड़डूमा स्थित केंद्रीय विद्यालय में पढ़ता है। पहले कैब चालक बेटे को छोड़कर आने के
लिए दो हजार रुपये लेता था, लेकिन जब से सीएनजी के दामों में वृद्धि हुई है, उसके बाद से चालक ने 2800 रुपये की मांग की है। इस कारण बच्चे को खुद
ही स्कूल छोड़ने और घर लाने का फैसला लिया है। लगभग सात किलोमीटर के लिए किराये में 800 रुपये की वृद्धि उचित नहीं है।
स्कूल ट्रांसपोर्ट एकता यूनियन के अध्यक्ष रामचंद्र का कहना है कि 15 मार्च को हमने स्कूल ट्रांसपोर्ट चार्ज को प्रति बच्चे के हिसाब से 500 रुपये बढ़ाकर ढाई हजार
रुपये किया था, लेकिन उस वक्त सीएनजी की कीमतें करीब 65 रुपये के आसपास थीं लेकिन तब से अब तक सीएनजी के दामों में 15 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी हो
चुकी है। इन सब के बावजूद जनता की समस्या को देखते हुए अभी फीस नहीं बढ़ाने का फैसला लिया है लेकिन हम लोग ऑटो- टैक्सी यूनियन की तरफ से 18 अप्रैल को की
जा रही हड़ताल का समर्थन करते हैं और हमारी यूनियन के पदाधिकारी सभी सीएनजी पंपों पर सुबह 9 बजे से 11 बजे तक प्रदर्शन भी करेंगे।
लगातार पेट्रोलियम उत्पाद कीमतें बढ़ने से माल ढुलाई की कीमतें भी परिवर्तित होती है। अभी तक करीब 15 से 20 तक माल ढुलाई महंगी हो चुकी है।
अगर इसी तरह से कीमतें बढ़ने का सिलसिला जारी रहता है तो उससे कीमतों पर व्यापक असर पड़ सकता है। क्योंकि जब ढुलाई महंगी होगी तो हाजिर तौर पर
व्यापारी नए सिरे से कीमतें निर्धारित करेंगे। लगातार कीमतें बढ़ने से पूरा ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री भी प्रभावित होगी। हमने इसको लेकर केंद्र
सरकार को पत्र भी लिखा है। - नवीन गुप्ता, महामंत्री - ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस
पेट्रोल-डीजल और सीएनजी की बढ़ती कीमतों के विरोध में टैक्सी ऑटो रिक्शा ड्राइवर संघर्ष समिति , ऑल दिल्ली ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन समेत अन्य
संगठन 18 और 19 अप्रैल को हड़ताल पर रहेंगे। यूनियन का कहना है कि सीएनजी व अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ने से खर्च निकाला मुश्किल हो रहा है।
इसलिए सीएनजी पर वैट कम किया जाए। इसके साथ ही ऐप आधारित कैब संचालित करने वाली कंपनियों से जुड़ी यूनियनों का कहना है कि मल्टी नेशनल कंपनियां भारी
कमीशन लेती है। ऊपर से सीएनजी के दाम ज्यादा है, जिससे टैक्स चलाना मुश्किल हो गया है। इसलिए सीएनजी के दामों में कमी के साथ ऐप आधारित टैक्सी के दामों को
सरकार की तरफ से निर्धारित किया जाए। इन तमाम मांगों को लेकर यूनियन हड़ताल पर जा रही हैं।