वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को हुई बैठक में यह साफ कर दिया कि पार्टी में आने वाला समय उनके भतीजे आकाश आनंद का है। जिस तरह से उन्होंने राजस्थान चुनाव में जुटे आकाश को लखनऊ की बैठक में बुलाया और उनके कंधे पर हाथ धरा, उसने एक तरह से ये साफ कर दिया कि आनंद बसपा के लिए खास हैं। लोकसभा चुनाव में उनकी भूमिका अहम रहने वाली है और पार्टी की विरासत संभालने के लिए उनसे आगे कोई नहीं है।
बसपा ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारियों पर फोकस बढ़ाया है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। बसपा ने इनकी तैयारी जोरदार तरीके से तैयारी शुरू भी कर दी है। राजस्थान में पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर आकाश आनंद चुनावी यात्राएं कर रहे हैं।
इधर यूपी में बसपा ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी कोशिशें तेज कर दी हैं। लेकिन जिस तरह से बसपा का प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में रहा है, उसे देखकर बसपा के सामने पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम को दोहराना ही बड़ी चुनौती है। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा को 10 सीटें मिलीं थीं।
इन्हीं तैयारियों को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में बुधवार को बैठक बुलाई। जिसमें पार्टी के जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में मायावती के भाई आनंद कुमार और भतीजे आकाश आनंद भी नजर आए। इस दौरान मायावती ने आत्मीयता के साथ आकाश आनंद के कंधे पर हाथ रखकर सियासी संदेश भी दे दिया। उन्होंने सबके सामने आकाश को अपने पास बुलाकर आशीर्वाद दिया। आकाश लखनऊ की बैठक में शामिल होने के लिए राजस्थान की यात्रा छोड़कर पहुंचे थे। बैठक के बाद वह वापस लौट गए।
उत्तरदायित्व की उम्मीद: दरअसल, कहा जा रहा है कि मायावती अब अपनी पार्टी का उत्तरदायित्व किसी दूसरे को देने की तैयारी कर रही हैं और इसके लिए उनकी एकमात्र उम्मीद आकाश हैं। उन्होंने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी आकाश को सौंपकर यह दिखाने की कोशिश की है कि आने वाला समय आकाश का होगा। मायावती ने 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव हारने के बाद सहारनपुर की रैली में आकाश को लांच किया था।
मायावती खुद आंदोलनों से दूरी बना चुकी हैं। आकाश को जिस तरह से वह आगे बढ़ा रही हैं, उससे यह भी साफ हो रहा है कि बसपाई आंदोलन और संघर्ष अब इस युवा की अगुवाई में होंगे। आकाश राजस्थान में पदयात्रा कर भी रहे हैं। उन्होंने 150 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरने वाली साढ़े तीन हजार किलोमीटर की ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय संकल्प यात्रा’ शुरू की है। इस यात्रा को ‘बहुजन अधिकार यात्रा’ भी नाम दिया गया है। पिछले चुनाव में वहां बसपा ने छह सीटें जीनी थीं।
आजाद बनाम आकाश: हाल ही में आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद पर दिया गया आकाश का बयान काफी सुर्खियों में रहा। उन्होंने आजाद को पहचानने से इंकार कर दिया था। चूंकि आजाद का जनाधार भी उसी वर्ग में है, जिसका प्रतिनिधित्व बसपा करती रही है। ऐसे में युवा आकाश को सामने लाकर मायावती पार्टी को मजबूत आधार देना चाहती है। आकाश के लिए भी यह परीक्षा आसान नहीं है।
2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीएसपी को 2, राजस्थान में 6, छत्तीसगढ़ में 2 और मिजोरम में एक सीट पर जीत मिली थी। तेलंगाना में खाता नहीं खुला था। इससे पहले 2013 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में पार्टी को दो सीटें मिली थीं। इस बीच राजस्थान में पार्टी के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे।