वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-अयान को मां ने मोबाइल पर गेम खेलने से मनाकर दिया। इसके बाद अयान को कार दिख गई। कार लॉक न होने की वजह से अयान उसमें बैठ गया। कार का चाइल्ड लॉक होने से अयान उसमें बंद हो गया। थोड़ी देर में दम घुटने से उसकी मौत हो गई।
घर में किसी ने नहीं देखा कि मासूम कब घर से बाहर निकला और जाकर कार में बैठ गया। वह मां से दादी के पास जाने की बात कहकर घर से बाहर गया था। सामने दिखी कार लॉक नहीं थी। उसने गेट खोला और उसमें बैठ गया। इसी बीच कार में चाइल्ड लॉक लग गया। अंदर करीब एक घंटे तक वह दम घुटने से वह छटपटाता रहा, मगर घरवाले बेखबर रहे। बाद में जब घरवालों को भान हुआ तो वे उसे खोजने लगे।
कार में उसकी हालत देखकर घर के लोग बदहवास हो गए। कार के शीशे पर उसके पंजों के निशान उसकी छटपटाहट को बयां कर रहे थे। सांस चलती देख परिजन उसे हॉस्पिटल ले गए, लेकिन उसकी जान नहीं बच पाई। अब घरवाले उस समय को कोस रहे हैं, जब मासूम उनकी नजरों से बचकर घर से बाहर हो गया।
यह दर्दनाक घटना 23 जुलाई की सुबह कैंट इलाके के बिलंदपुर में सामने आई है। परिवार वालों के मुताबिक बिलंदपुर निवासी रिंकू सिंह का बेटा अयान रविवार होने की वजह से स्कूल में नहीं गया था। एचपी स्कूल में एलकेजी क्लास में पढ़ने वाला बेटा तेज धूप में छत पर गया तो मां ने डांटकर नीचे जाने को कह दिया। फिर वह नीचे आया और मोबाइल पर गेम खेलने लगा।
इसी दौरान उसकी बुआ का फोन आया तो मां ने उसे मोबाइल पर गेम खेलने से मना किया। इसके बाद अयान, मां से दादी के पास जाने की बात कहते हुए घर से निकल गया। दरअसल, वह दादी के कमरे के बाहर जाकर दरवाजा खुलवाता था। घर से निकलने के बाद वह दादी के कमरे की खिड़की के पास जा रहा था, लेकिन इसी बीच उसे कार दिख गई।
कार लॉक न होने की वजह से अयान उसमें बैठ गया। कार का चाइल्ड लॉक होने से अयान उसमें बंद हो गया। सुबह 10.35 पर कार में बंद हुए अयान ने बाहर निकलने की हरसंभव कोशिश की होगी, ऐसा कार के अंदर के हालात से पता लगता है। बाद में लोगों से पता लगा कि कार का हाॅर्न भी बजा था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
परिवार वालों को भी लगा कि कार लेकर गया बुआ का बेटा हॉर्न बजा रहा है। शीशे पर हाथों के निशान जता रहे हैं कि उसने निकलने को पूरी ताकत झोंकी, मगर शीशा बंद होने की वजह से न तो आवाज बाहर आई और न ही वह निकल सका। तेज धूप में खुले में खड़ी कार में उसका दम घुट गया। उसने उल्टी भी की।
सुबह 11.30 बजे उसकी बड़ी मम्मी ने खिड़की से बाहर देखा तो उनकी नजर पड़ी। वह दौड़कर नीचे आईं, तब तक बड़े पापा कृष्ण प्रताप सिंह भी आ गए। पीछे की सीट पर शांत पड़े अयान की सांसें चल रही थीं। बड़े पिता सीधे उसे लेकर मानसी हॉस्पिटल गए, लेकिन अयान की जान नहीं बच पाई।
बुआ, मैं गेम खेल रहा हूं...पापा नहीं हैं ...बाद में फोन करना
बुआ, मैं मोबाइल पर गेम खेल रहा हूं, फोन मत करो, पापा आएंगे तो बात करा दूंगा। यह अंतिम बोल अयान के हैं। अयान के बड़े पिता कृष्ण प्रताप सिंह बताते हैं, वह काफी चंचल था। उसकी बुआ का फोन आया तो उसने यही बात कही और फिर वह अपनी मां से दादी के पास जाने की बात कहते हुए निकल गया। दादी को खिड़की से वह बुलाता था, उस दिन भी वह गया था, लेकिन कार में बंद हो गया। उसकी मौत के बाद से घर में मातम छाया है। चंचल अयान की एक-एक हरकत को याद कर दादी बदहवास हो जा रही थीं तो बड़ी मिन्नतों के बाद अयान को जन्म देने वाली मां बेसुध हैं।
सावधान रहें..जो मेरे साथ हुआ किसी के साथ न हो
पिता रिंकू सिंह की आंखों से नींद गायब हैं और खुद को कोस रहे हैं। कहते हैं, बेटा दादी के पास गया था, यह जानकर सब निश्चिंत थे, लेकिन कब वह कार में गया और जान चली गई, यह सोचकर अब भी हैरान हूं। सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं, सावधान रहें, जो मेरे साथ हुआ, वह किसी और के साथ न हो, यही दुआ है। दरअसल, रिंकू सिंह के बगल में ही सटा उनके बड़े भाई का मकान है। उनकी मां सामने वाले एक कमरे में रहती हैं।
अयान घर से निकल कर बाहर से उस कमरे की ओर जाता था और फिर वहीं से खिड़की के रास्ते आवाज देकर खुलवाता था। कृष्ण प्रताप बताते हैं, अयान काफी चंचल था। अक्सर शरारत की वजह से वह चोटिल भी हो जाता था। अब ऐसे समझ लीजिए, अगर कोई एक काम को मना करिए तो दूसरा करता था। अगर उसे हम लोगों ने कार खोलना सिखाया होता तो शायद ऐसा नहीं होता। वह जरूर खोल लिया होता। उसने खोलने की भरपूर कोशिश भी की थी, लेकिन सफल नहीं हो पाया
स्कूल में साथियों से घुलमिल कर रहता था अयान
एचपी स्कूल में एलकेजी में पढ़ने वाले अयान की मौत से शिक्षक और प्रिंसिपल सभी सन्न हैं। सोमवार को असेंबली में प्रिंसिपल दीबा अहमद इस दुखद घटना की सूचना देते समय भावुक हो गईं। उन्होंने बताया कि अयान के माता-पिता स्कूल में आए और उन्होंने पूरी घटना बताई। रो-रोकर उनका बुरा हाल था। क्लास टीचर ने बताया कि जब छुट्टी हो जाती थी तो अयान उनके पास आता था। अगर पढ़ाई में कुछ समझ में नहीं आता था, तो उसके बारे में पूछता था। क्लास के बच्चे भी बहुत उदास हैं। वह उनसे बहुत घुलमिल कर रहता था।
इन सावधानियों पर जरूर दें ध्यान
कार से उतरने के बाद लॉक जरूर चेक कर लें।
घर में बच्चे हों तो कार का शीशा थोड़ा नीचे करके रखें।
बच्चे अगर घर से कहीं किसी के पास जा रहें हैं तो यह जरूर चेक कर लें कि वह गया या नहीं।
बच्चे जब थोड़े समझदार हो जाएं तो उन्हें यह जरूर बता दें कि कार का दरवाजा कैसे खुलता है।