वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-लखनऊ में आलमनगर मोहान रोड स्थित एमरल्ड ग्रीन निवासी कैप्टन का फरवरी में विवाह हुआ था। उनके पार्थिव शरीर को विशेष विमान से देवरिया ले जाया गया।
लद्दाख क्षेत्र के सियाचिन ग्लेशियर में बुधवार सुबह आग की घटना में सेना के कैप्टन डॉ. अंशुमान सिंह शहीद हो गए। वह आलमनगर मोहान रोड स्थित एमरल्ड ग्रीन के निवासी थे। गत फरवरी में उनका विवाह हुआ था। गुरुवार सुबह उनका पार्थिव शरीर लखनऊ लाया जाना था पर इसमें बदलाव कर दिया गया है। अब उनका पार्थिव शरीर गोरखपुर के रास्ते उनके गृह जिले देवरिया ले जाया जाएगा।
दरअसल, लद्दाख क्षेत्र के सियाचिन ग्लेशियर में बुधवार तड़के आग की घटना में उत्तरी कमान के कैप्टन डॉ. अंशुमान सिंह बलिदान हो गए। वह रेजिमेंटल मेडिकल आफिसर थे। उनके साथ अन्य साथी भी हादसे में झुलस गए। बताते हैं कि आग लगने पर वे अपने साथियों को बचाने में जुट गए। इस दौरान गंभीर रूप से झुलस गए। झुलसे तीनों जवानों की हालत स्थिर बताई जा रही है। सैन्य प्रवक्ता के अनुसार आग की घटना तड़के तीन बजे हुई। इसमें मेडिकल आफिसर गंभीर रूप से झुलस गए, जिससे उनका निधन हो गया। तीन अन्य कर्मियों को धुएं के कारण सांस लेने में तकलीफ हुई और वे दूसरी डिग्री तक झुलस गए।
उन्हें तत्काल इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया गया। घायलों की हालत स्थिर बताई जा रही है। डॉ. अंशुमान सिंह लखनऊ में आलमनगर मोहान रोड स्थित एमरल्ड ग्रीन निवासी बताए जा रहे हैं। अमौसी एयरपोर्ट प्रशासन के मुताबिक गुरुवार सुबह 9.40 बजे विशेष विमान से डॉ. अंशुमान सिंह का पार्थिव शरीर लखनऊ लाया जाना था पर बाद में इसके रूट में बदलाव कर दिया गया। अब उनके पार्थिव शरीर को गोरखपुर के रास्ते देवरिया ले जाया गया।
मातम में बदल गईं चार महीने पहले गूंजीं शहनाई की आवाजें
आलमनगर क्षेत्र में सेना से सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत्त होने वाले रविप्रताप सिंह के घर में चार महीने पहले गूंजीं बेटे की शादी की शहनाइयां बुधवार को मातम में बदल गईं। शादी के बाद जिस बेटे की दुल्हन आई थी, बुधवार सुबह उसकी मौत की सूचना आ गई। सियाचिन में तैनात उनका बेटा कैप्टन अंशुमान सिंह बंकर में लगी आग के बाद तीन जवानों को बचाने में खुद बुरी तरह झुलस गया। इससे उसकी मौत हो गई।
शहीद कैप्टन अंशुमान के चाचा अनुज प्रताप सिंह जो पैरामिलिट्री में सिपाही हैं, उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह मौत की सूचना आई थी। अंशुमान के पिता रवि प्रताप सिंह ने ही फोन उठाया था। फोन के बाद मां मंजूरी सिंह पर मानो दुख का पहाड़ टूट पड़ा। हिम्मत करके उन्होंने अंशुमान की पत्नी स्मृति को फोन करके इसकी सूचना दी। स्मृति पंजाब के पठानकोट की रहने वाली है और इस समय वह अंशुमान की बहन डॉ. तान्या सिंह के साथ नोएडा में है। परिवार में अंशुमान का छोटा भाई घनश्याम है जो कि कंपटीशन की तैयारी कर रहा है। रविप्रताप का परिवार मूलरूप से देवरिया के गांव बरडिहादलपत थाना लार का रहने वाला है।