वॉयस ऑफ़ ए टू जेड न्यूज़:-कानपुर स्थित पीएसआईटी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग के प्रो. वरुण शुक्ल ने यूजर ऑथेंटिकेशन सिस्टम बनाया है जो खेत से जुड़ी हर तरह की जानकारी मोबाइल पर देगा। इसका खर्च तकरीबन एक हजार तक है।
किसान अगर खेत में नहीं है तो उसे कैसे पता चलेगा कि खेत में पानी भर गया है? नमी कम हो गई है या धूप से फसल झुलस रही है? खेत में किस तत्व की कमी है? कौन सी खाद डाली जाए? किसानों के इन सब समस्याओं का हल कानपुर के एक वैज्ञानिक खोज निकाला है। किसानों को अब घर बैठे खेत का हेल्थ कार्ड रिपोर्ट मोबाइल पर मिल सकता है। खेत में पानी, नमी, ताप के कम-ज्यादा होने से फसल को नुकसान होता है। इसे बचाने को पीएसआईटी (प्रणवीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी) के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग के प्रो. वरुण शुक्ला ने यूजर ऑथेंटिकेशन सिस्टम बनाया है।
वे इसे एन आईओटी बेस्ड यूजर ऑथेंटिकेटेड स्वायल मॉनीटरिंग सिस्टम कहते हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर आधारित तकनीक से खेत में लगे सेंसर दूर बैठे किसानों को खेत का हेल्थ रिपोर्ट मोबाइल पर भेज देगा। इस प्रोटोटाइप का शोध पत्र अमेरिका के जर्नल एडहॉक एंड सेंसर वायरलेस नेटवर्क्स ने प्रकाशित किया है। इसके पेटेंट की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है। इसकी कुल किमत एक हजार रुपये के आस पास होगा। ऐसे काम करेगा सिस्टम खेतों में कुछ सेंसर लगाए जाएंगे जो मिट्टी में मौजूद पानी, नमी और तापमान की रियल टाइम रिपोर्ट करेगा। सिस्टम इस डेटा को मोबाइलों पर भेजता रहेगा। इसके लिए हर मोबाइल को एक कोड दिया जाएगा। प्रो. वरुण ने कहा कि खेतों की स्वास्थ्य रिपोर्ट भी एक तरह का डाटा है। इसे सुरक्षित किया गया है। किसान जब तक अपना यूजर आईडी नहीं डालेगा तब तक उसे रिपोर्ट नहीं मिलेगी। इसे एक साथ कई मोबाइलों के साथ जोड़ा भी जा सकता है। यह सेंसर खेत का तापमान, वातावरण में नमी का प्रतिशत, खेत में नमी का प्रतिशत, पानी के पंप का स्टेटस और मिट्टी की गुणवत्ता बताएगा। इसके अलावा इसके पैरामीटर में एक्यूआई लेवल और कार्बन डाई ऑक्साइड लेवल भी जल्द ही जोड़ा जाएगा।
लागत कम और बढ़ेगा उत्पादन
कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान के मुताबिक नमी, ताप और पानी कम-ज्यादा होने से खेती में कई तरह के नुकसान होते हैं। जैसे उपज कम रह सकती है या फसल में कीट लग सकते हैं। मिट्टी और वातावरण की सही रिपोर्ट जब किसान को मिलने लगेगी तो फसल की लागत कम होगी और उत्पादन बढ़ेगा। इसके अलावा सिंचाई की लागत भी घटेगी, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी।